भोलेनाथ शिव शंकर का वास: Bholenath Shiv Shankar ka Nivas

भोलेनाथ शिव शंकर का वास, इस समय भगवान शिव शंकर कहां विराजमान हैं।  भगवान शिव  शंकर का वास कहां होगा, क्योंकि उनके वास के अनुसार ही फल मिलता है इस समय भगवान क्या कर रहे हैं और उनसे प्रार्थना के लिए यह समय उचित है अथवा नहीं पता करे । 

भोलेनाथ शिव शंकर का वास

इस समय भगवान भोलेनाथ शिव शंकर का वास कहां होगा, क्योंकि उनके निवास के अनुसार ही फल मिलता है इस समय भगवान क्या कर रहे हैं और उनसे प्रार्थना के लिए यह समय उचित है अथवा नहीं। 

अपने व्रत,पूजा, अनुष्ठान का शुभ फल पाएं  ”भगवान शिव शंकर के निवास का पता करके” 

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Shiv ji nivas ka Niyam: भोलेनाथ शिव शंकर के वास का नियम जानें 

आपके व्रत, पूजा और अनुष्ठान के समय

भगवान भोलेनाथ शिव शंकर का निवास कहां होगा, क्योंकि उनके निवास के अनुसार ही फल मिलता है।भोलेनाथ शिव शंकर के वास से ही यह तय होता है कि आपके द्वारा संकल्पित अनुष्ठान कैसा होगा शुभ या अशुभ।  

कब भोलेनाथ शिव शंकर का वास का विचार नहीं किया जाता है।

भोलेनाथ शिव शंकर का वास या निवास का अर्थ है भगवान शिव का निवास यानी किसी विशेष तिथि पर भगवान शिव शंकर कहां विराजमान हैं। 

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार  भगवान शिव शंकर प्रत्येक माह सात अलग-अलग स्थानों पर निवास करते हैं अतः किसी विशेष कार्य के लिए की जाने वाली शिव पूजा,जैसे सोलह सोमवार व्रत, रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र का जाप और अनुष्ठान से पहले शिव जी के वास  का विचार करना जरूरी हो जाता है। क्योंकि भगवान भोलेनाथ शिव शंकर के वास के आधार पर पता चलता है कि इस समय भगवान क्या करे रहे हैं और उनसे प्रार्थना के लिए यह समय उचित है अथवा नहीं। 

भोलेनाथ शिव शंकर के वास की गणना और शिव पूजा में महत्व

 महर्षि नारद ने भगवान भोलेनाथ शिव शंकर के वास की गणना के लिए शिव वास सूत्र बनाया था। इसके अनुसार

भगवान भोलेनाथ शिव शंकर के वास का पता जानने के लिए 

पहले तिथि पर ध्यान दें और 

  • शुक्ल पक्ष में पहली तिथि से पूर्णिमा तक की तिथि को 1 से 15 तक का मान दें 

        और 

  •  कृष्ण पक्ष में प्रतिपदा से अमावस्या तक को 16 से 30 मान दें। 

        फिर 

  • जिस तिथि के लिए शिवजी का वास देखना है, उसमें दो से गुणा करें, फिर गुणनफल में 5 जोड़ दें और सबसे आखिर में 7 से भाग दे दें। 

इसे सूत्र रूप में इस तरह पढ़ सकते हैं।

{ ( तिथि x 2 ) + 5 } ÷ 7 =  शेष फल

शेष फल जो आएगा उससे शिवजी के वास का पता चल जाएगा।

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“ तिथिं च द्विगुणी कृत्वा पुनः पञ्च समन्वितम । सप्तभिस्तुहरेद्भागम शेषं शिव वास उच्यते ।। 

एके कैलाश वासंद्धितीये गौरिनिधौ ।।

तृतीये वृषभारूढं चतुर्थे च सभास्थित ।

पंचमेभोजने चैव क्रीड़ायान्तुसात्मके शून्येश्मशानके चैव शिववास वास संचयोजयेत ।। ”

“ कैलाशे लभते सौख्यं गौर्या च सुख सम्पदः । वृषभेऽभीष्ट सिद्धिः स्यात् सभायां संतापकारिणी।

भोजने च भवेत् पीड़ा क्रीडायां कष्टमेव च ।

श्मशाने मरणं ज्ञेयं फलमेवं विचारयेत् ।। “

शिवजी के वास का फल

भोलेनाथ शिव शंकर का वास

1. यदि शेषफल एक  आता है तो शिवजी का वास कैलाश में होगा 

और इस समय पूजा का फल शुभ फलदायक होगा।

2. यदि शेषफल दो आता है तो शिव वास गौरी पार्श्व में होगा 

और इसका फल सुख संपदा प्रदान करने वाला होगा।

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3. यदि शेषफल तीन आता है तो शिव वास वृषारूढ़ होगा 

और इसका फल अभीष्ट सिद्धि होगा, लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।

4. यदि शेषफल चार आता है तो शिव वास सभा में होगा

 और इसका फल संताप प्रदान करता है।

5. यदि शेषफल पांच आता है तो शिव वास भोजन पर होगा 

और इसका फल भक्त के लिए पीड़ादायी हो सकता है।

6. यदि शेषफल छह आता है तो शिव क्रीड़ारत रहेंगे 

और इससे कष्ट मिल सकता है।

0. यदि शेषफल शून्य आता है तो शिव वास श्मशान में होगा

 और इसका फल मृत्यु तुल्य हो सकता है।

इस प्रकार शिव वास गणना नियम के अनुसार 

शुक्ल पक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथियां 

कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, चतुर्थी, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी तिथियां शुभ फलदायी हैं। 

इन तिथियों पर किया गया संकल्पित अनुष्ठान सिद्ध होता है। 

भोलेनाथ शिव शंकर का वास

कब शिव शंकर के निवास का विचार नहीं किया जाता है

 निष्काम पूजा, महाशिवरात्रि, श्रावण माह, तीर्थस्थान और ज्योतिर्लिंग में शिवजी का वास देखना जरूरी नहीं होता है।

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